विकास
योजना के बारे में
- यह डे-केयर योजना है जिसमें मुख्य रूप से दिव्यांगजन का पारस्परिक और व्यावसायिक कौशल बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।
- इस योजना के अंतर्गत विकास केन्द्रों में दिव्यांगजन की देखभाल संबंधी सहायता का प्रावधान है।
- विकास केन्द्र दिव्यांगजनों के परिवार के सदस्यों को दिन के दौरान अन्य जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कुछ समय देने में सहायता करते हैं।
- इसके अंतर्गत दिव्यांगजनों को आयु-विशिष्ट गतिविधियों के साथ एक दिन में कम से कम 6 घंटे डे-केयर की सुविधा मिलती है।
- पंजीकृत संगठन को एलआईजी (बीपीएल सहित) और एलआईजी से ऊपर के दिव्यांगों के लिए 1:1 का अनुपात बनाए रखना चाहिए।
- विकास केन्द्र के बैच में 30 दिव्यांगजन होने चाहिये।
- यह योजना पूरे देश में उपलब्ध होगी।
इस योजना का उद्देश्य दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए विकास केंद्र स्थापित करना है। पंजीकृत संगठनों को अपने विकास केंद्र में कम से कम निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए:
- I. डे-केयर
पंजीकृत संगठन को दिव्यांजनों के लिये आयु-विशिष्ट गतिविधियों के साथ-साथ दिन में कम से कम 6 घंटे (सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे के बीच) डे-केयर सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। डे केयर महीने में कम से कम 21 दिन खुला रहना चाहिए। विकास केंद्र के अपेक्षित बैच में 30 दिव्यांगजन होने चाहिये। राष्ट्रीय न्यास द्वारा दिव्यांगजनों को फंड देने के लिए विकास केंद्र में दिव्यांगजन के लिए प्रति माह न्यूनतम 15 दिन की उपस्थिति आवश्यक है।
विकास केंद्र के बैच में 30 दिव्यांगजन होने चाहिये। बैच में 30% अतिरिक्त दिव्यांगजन रखे जाने की अनुमति है, यानी, विकास केंद्रों में अधिकतम 39 दिव्यांगजनों को प्रवेश दिया जा सकता है। विकास केंद्र अधिकतम संख्या से ज्यादा किसी और दिव्यांगजन को नामांकन की अनुमति नहीं देंगे। यदि पंजीकृत संगठन के पास नए विकास केंद्र के लिए पर्याप्त संख्या में दिव्यांगजन हैं तो उन्हें दोबारा आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
पंजीकृत संगठन को एलआईजी (बीपीएल सहित) और एलआईजी से ऊपर के दिव्यांगों (संगठन के लिए सशुल्क सीटें) के लिए 1:1 का अनुपात बनाए रखना चाहिए।
उपरोक्त एलआईजी सीटों के लिए भुगतान पंजीकृत संगठन और अन्य पक्ष (माता-पिता, अभिभावक, परिवार के सदस्य, पंजीकृत संगठन, या अन्य संस्थान/व्यक्ति) के बीच पारस्परिक रूप से सहमत नियमों और शर्तों के अधीन होंगे और पंजीकृत संगठन, माता-पिता, अभिभावकों, परिवार के सदस्यों या किसी अन्य संस्थान/व्यक्ति से भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
विकास केंद्र में नामांकन बढ़ाने में मदद के लिए पंजीकृत संगठन को बाल रोग विशेषज्ञों या संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
कर्मचारियों की आवश्यकता
1-विशेष शिक्षक (+व्यावसायिक प्रशिक्षक), फिजियोथेरेपिस्ट या व्यावसायिक थेरेपिस्ट
2-केयरगिवर के साथ-साथ दिव्यांगजनों के लिए परामर्शदाता
3-आया
कर्मचारी
केंद्र में केयरगिवर और आया के साथ-साथ दिव्यांगजनों के लिए विशेष शिक्षक (+व्यावसायिक प्रशिक्षक), फिजियोथेरेपिस्ट या व्यावसायिक थेरेपिस्ट और परामर्शदाता का प्रावधान होना चाहिए।
इन केन्द्रों में फिजिकल थेरेपिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट की उपलब्धता भी वांछनीय है।
कर्मचारियों की आवृत्ति या निर्धारित समय का पालन निम्नानुसार किया जाना चाहिए:
क्रम सं. | श्रेणी | कर्मचारियों की सं. | प्रति माह अपेक्षित विज़िट की आवृत्ति या न्यूनतम संख्या |
1 | विशेष शिक्षक (अतिरिक्त योग्यता या व्यावसायिक प्रशिक्षक की डिग्री वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी) | 1 | प्रतिदिन |
2 | फिजियोथेरेपिस्ट या व्यावसायिक थेरेपिस्ट | 1 | सप्ताह में पांच बार |
3 | परामर्शदाता | 1 | सप्ताह में दो बार |
4 | केयरगिवर | 1 | प्रतिदिन |
5 | आया | 1 | प्रतिदिन |
बुनियादी सुविधाएं
1 चिकित्सा/मूल्यांकन कक्ष (चिकित्सीय सहायता और उपकरणों के साथ)
2 एक गतिविधि कक्ष
3 एक मनोरंजन कक्ष
बुनियादी सुविधाएं
विकास केंद्र में दिव्यांगजनों के लिए एक चिकित्सा या मूल्यांकन कक्ष (चिकित्सीय सहायता और उपकरणों के साथ), एक गतिविधि कक्ष या व्यावसायिक कक्ष और एक मनोरंजन कक्ष (सभी कक्ष उचित आकार के होने चाहिए) होने चाहिए।
विकास केंद्र के कार्यालय में राष्ट्रीय न्यास को फंड का अनुरोध भेजने, रिपोर्ट जमा करने आदि जैसे काम करने के लिए एक पर्सनल कंप्यूटर, स्कैनर और इंटरनेट कनेक्शन का भी प्रावधान होना चाहिए ।
राष्ट्रीय न्यास प्रस्ताव की व्यवहार्यता और स्थान की उपलब्धता के आधार पर कार्य केंद्र सेटअप करने में सहायता (केवल स्थापना लागत) प्रदान करेगा।
फंडिंग पैटर्न
क्रम सं. | फंडिंग शीर्ष | राशि (भारतीय रू. में) | धन वितरण की आवृत्ति |
1 | सेटअप लागत | 1,95,000/- | एक बार |
2 | आजीविका लागत | #प्रति डिफरेंशियल दिव्यांगजन को प्रतिपूर्ति के रूप में प्रति माह 3,850/- रुपये (#डिफरेंशियल दिव्यांगजन = विकास केंद्र में अधिकतम अपेक्षित दिव्यांगजन (30)-उस महीने के लिए विकास केंद्र में वास्तविक दिव्यांगजनों की संख्या। यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रारंभिक महीनों में पंजीकृत संगठन न्यूनतम 6 से कम दिव्यांगजन नामांकित नहीं करेंगे) | प्रारंभिक 3 महीनों के लिए मासिक |
3 | मासिक आवर्ती लागत | रु. 3,850/- प्रति दिव्यांगजन बीपीएल दिव्यांगजन प्रति माह (+1000/- प्रति दिव्यांगजन प्रति माह परिवहन भत्ते के लिए, यदि लिया गया है) | मासिक |
4 | कार्य केन्द्रों की सेटअप लागत (यदि पंजीकृत संगठन ने लिया हो) | रु. 25000/- से रु. 1,00,000/- तक | मामले दर मामले आधार पर |
राष्ट्रीय न्यास निम्नलिखित तीन मदों के तहत विकास केंद्र को फंडिंग करेगा:
- सेटअप लागत
यह एक गैर-आवर्ती एकमुश्त लागत है जो प्रारंभ में विकास केंद्र स्थापित करने के लिए पंजीकृत संगठन को प्रदान की जाएगी। राष्ट्रीय न्यास से अनुदान के अलावा, पंजीकृत संगठन बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए अन्य स्रोतों से अनुदान की व्यवस्था करने के लिए स्वतंत्र है। पंजीकृत संगठन का यह विशेषाधिकार होगा कि वह अपनी पसंद के स्थानों से उचित संख्या में गुणवत्ता पूर्ण सेटअप खरीदे। वास्तव में, यह केंद्र की व्यवहार्यता के लिए वांछनीय है। हालाँकि, यदि पंजीकृत संगठन अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था करते हैं तो राष्ट्रीय न्यास अपनी सेटअप लागत में कटौती नहीं करेगा।
- II. आजीविका लागत
राष्ट्रीय न्यास सेटअप अवधि के बाद अधिकतम 3 महीने के लिए दिशा केंद्र को आजीविका प्रदान करेगा। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान किया गया है कि पंजीकृत संगठन को पहले महीने में 30 दिव्यांजनों का नामांकन करना मुश्किल होगा। आजीविका लागत यह सुनिश्चित करने के लिए दी जाती है कि केंद्र के संचालन के पहले दिन से उसमें सभी कर्मचारी कार्य करने की स्थिति में हों और सभी सुविधाएं उपलब्ध हों, भले ही नामांकित दिव्यांगों की संख्या कुछ भी हो। आजीविका लागत प्रदान करने का यह फायदा है कि पंजीकृत संगठन बिना किसी कठिनाई के केंद्र चलाने में सक्षम होगा, और यह समझा जायेगा कि केन्द्र की स्थिति आजीविका अवधि के दौरान स्थिर हो जायेगी।
आजीविका के लिए योग्यता मानदंड
राष्ट्रीय न्यास केंद्र को आजीविका लागत तभी प्रदान करेगा जब शुरुआती 3 महीनों में विकास केंद्र में दिव्यांगजनों की न्यूनतम संख्या प्रत्येक महीने में अपेक्षित बैच से कम से कम 20% हो (इस मामले में 6)। केंद्र को तभी शुारू किया जा सकता है जब न्यूनतम 6 दिव्यांग नामांकित हों।
आजीविका की गणना
आजीविका लागत की गणना 3 महीनों के दौरान केंद्र में कुल अपेक्षित दिव्यांगजन और वास्तविक दिव्यांगजन की संख्या के अंतर के आधार पर आनुपातिक आधार पर की जाएगी।
उदाहरण के लिए, यदि पंजीकृत संगठन के पास केन्द्र शुरू होने के पहले महीने में 6 दिव्यांगजन हैं, तो 30 – 6 = 24 दिव्यांगजनों के लिए आजीविका लागत का भुगतान होगा। हालाँकि, पहले से नामांकित 6 दिव्यांगजनों के लिए, योजना के अनुसार मासिक आवर्ती लागत का भुगतान किया जाएगा।
आजीविका की वैधता
विकास केंद्र का संचालन समय पर शुरू होने पर आजीविका लागत का प्रावधान सशर्त है। आशा की जाती है कि विकास केंद्र सेटअप लागत जारी होने के एक महीने के भीतर काम करना शुरू कर देंगे। यदि केन्द्र का संचालन इस समय सीमा से एक महीने से अधिक में होता है (यानी, यदि सेटअप लागत जारी होने के 2 महीने के भीतर भी संचालन शुरू नहीं हुआ है), तो समग्र अवधि, जिसके लिए आजीविका लागत प्रदान की गई है, में से देरी की अवधि कम कर दी जाएगी।
उदाहरण के लिए, यदि विकास केंद्र सेटअप लागत प्रदान किए जाने के तीन महीने बाद शुरू होता है, तो आजीविका लागत केवल 2 महीने के लिए प्रदान की जाएगी। इसी प्रकार, यदि विकास केंद्र सेटअप लागत प्रदान किए जाने के चार महीने बाद शुरू होता है, तो आजीविका लागत केवल एक महीने के लिए प्रदान की जाएगी।
यदि विकास केंद्र शुरू होने से एक वर्ष के भीतर बंद हो जाता है, तो राष्ट्रीय न्यास पंजीकृत संगठन से विकास केंद्र को दी गई आजीविका राशि वापस ले लेगा।
III. मासिक आवर्ती लागत
राष्ट्रीय न्यास, विकास केंद्र के उन सभी दिव्यांगजनों के लिए मासिक आवर्ती लागत का भुगतान करेगा जो केन्द्र के शुरू होने के पहले महीने की फंडिंग के पात्र हैं। राष्ट्रीय न्यास विकास केंद्र को केवल ऐसी स्थिति में ही फंडिंग करेगा जब विकास केंद्र में दिव्यांगजनों की न्यूनतम संख्या कई महीनों में अपेक्षित बैच का 30% (यानी इस मामले में 9) हो।
राष्ट्रीय न्यास निम्नलिखित शर्तों के अनुसार दिव्यांगजनों को धनराशि देगा:
- राष्ट्रीय न्यास विकास केंद्र में दिव्यांगों को 1:1 के अनुपात में फंड देगा, बशर्ते कि वहां एलआईजी (बीपीएल सहित) और एलआईजी से ऊपर के दिव्यांगजनों की संख्या समान हो। एलआईजी को इस प्रकार परिभाषित किया जाएगा:
एलआईजी = राज्य द्वारा निर्धारित बीपीएल सीमा + संबंधित राज्य की बीपीएल सीमा का अतिरिक्त 50%।
- यदि एलआईजी (बीपीएल सहित) दिव्यांगजनों की संख्या उपरोक्त एलआईजी दिव्यांगजनों की संख्या से अधिक है, तो केवल उन एलआईजी दिव्यांगजनों के लिए धन प्रदान किया जाएगा जिनके लिए 1:1 अनुपात बनाए रखा गया है (बीपीएल सहित एलआईजी: एलआईजी श्रेणी से ऊपर)। इस परिदृश्य में, बीपीएल को फंडिंग की प्राथमिकता दी जाएगी।
- यदि एलआईजी (बीपीएल सहित) दिव्यांगजनों की संख्या उपरोक्त एलआईजी की संख्या से कम है, तो राष्ट्रीय न्यास एलआईजी (बीपीएल सहित) की कुल संख्या को धनराशि देगा।
- इसके अलावा, राष्ट्रीय न्यास अनुपात पर ध्यान दिये बिना योजना के अनुसार विकास केंद्र में 100% बीपीएल को फंड करेगा, लेकिन यह एलआईजी के मामले में लागू नहीं है।
5- पंजीकृत संगठन को परिवहन भत्ता (वैकल्पिक) तभी दिया जाएगा जब दिव्यांगजन के माता-पिता/अभिभावकों से आवश्यक दस्तावेज़ प्रमाण जमा करने के बाद पंजीकृत संगठन से परिवहन सुविधा का लाभ लिया हो।
राष्ट्रीय न्यास की फंडिंग के उदाहरण
कुल संख्या | एलआईजी की सं. (बीपीएल सहित) | एलआईजी से ऊपर की सं. | राष्ट्रीय न्यास से फंड लेने वालों की सं. |
30 | 15 | 15 | 15 |
30 | 20 | 10 | 10 |
30 | 10 | 20 | 10 |
30 | 20 (16 बीपीएल और 4 एलआईजी) | 10 | 16 |
30 | 20 (8 बीपीएल और 12 एलआईजी) | 10 | 10 |
- IV. कार्य केंद्र की सेटअप लागत (यदि पंजीकृत संगठन ने लिया हो)
राष्ट्रीय न्यास प्रस्ताव की व्यवहार्यता को मान्य करने के बाद मौजूदा पंजीकृत संगठन द्वारा खोले गए कार्य केंद्रों के लिए सेटअप लागत की फडिंग पर भी विचार करेगा। मौजूदा संगठन को सेटअप लागत का लाभ लेने के लिए इन कार्य केंद्रों में काम करने के लिए राष्ट्रीय न्यास अधिनियम में शामिल कम से कम 10 प्रशिक्षित दिव्यांगजन होने चाहिए।
यदि कार्य-केंद्र शुरू होने के एक वर्ष के भीतर बंद हो जाता है, तो राष्ट्रीय न्यास पंजीकृत संगठन को दी गई कार्य के-द्र की सेटअप लागत वापस ले लेगा।
उपरोक्त प्रत्येक शीर्ष के तहत आवंटित धनराशि सीधे पंजीकृत संगठन को हस्तांतरित नहीं की जाएगी। योजनाओं के निर्धारित नियमों के अनुसार धनराशि जारी करने की निगरानी की जाएगी।
पंजीकृत संगठनों और दिव्यांगजनों के लिए पात्रता मानदंड
नई योजनाओं में आवेदन करने के लिए फ़िल्टर मानदंड इस प्रकार हैं:
1.राष्ट्रीय न्यास के साथ पंजीकृत होना चाहिए।
2.दिव्यांगजन अधिनियम के तहत पंजीकृत होना चाहिए।
3.राज्य/केन्द्र सरकार/अन्य सरकारों ने ब्लैकलिस्ट न किया हो।
4.पंजीकृत संगठन के पास राष्ट्रीय न्यास अधिनियम में शामिल चार दिव्यांगताओं में से किसी एक दिव्यांगजन के साथ काम करने का कम से कम एक वर्ष का अनुभव और दिव्यांगजन के साथ काम करने का न्यूनतम 2 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
5.पंजीकृत संगठन का बैंक खाता विवरण होना चाहिये।
6.पंजीकृत संगठन की ई-मेल आईडी और संपर्क विवरण होना चाहिये।
नोट: पंजीकृत जब तक संगठन उपरोक्त मानदंडों को पूरा नहीं करता है, वह योजना के तहत आवेदन नहीं कर सकता है।
- पंजीकृत संगठन के लिए मानदंड
ए आवेदक संगठन को राष्ट्रीय न्यास के साथ पंजीकृत होना चाहिए।
बी दिव्यांगजन अधिनियम 1995 के तहत वैध पंजीकरण होना चाहिए।
सी दिव्यांगजनों के साथ काम करने का न्यूनतम 2 वर्ष का अनुभव होना चाहिए, साथ ही राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के तहत चार दिव्यांगताओं में से एक में कम से कम एक वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
डी नामांकन के समय एनजीओ को राष्ट्रीय न्यास या किसी अन्य सरकारी संगठन से ब्लैकलिस्ट नहीं होना चाहिए।
पात्रता मापदंड
यह खंड विकास केंद्र खोलने के लिए आवेदन करने वाले पंजीकृत संगठन के लिए पात्रता मानदंड निर्दिष्ट करता है ।
- पंजीकृत संगठन के लिए पात्रता मानदंड
विकास योजना में नामांकन के लिए पंजीकृत संगठन को निम्नलिखित पात्रता मानदंड पूरे करने चाहिए:
क्रम सं. | पात्रता मानदंड | आवश्यक दस्तावेज |
1 | आवेदक को राष्ट्रीय न्यास के साथ पंजीकृत होना चाहिये | राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के तहत वैध पंजीकरण प्रमाण पत्र |
2 | आवेदक के पास नामांकन के समय दिव्यांगजन अधिनियम 1995 के तहत वैध पंजीकरण होना चाहिए | पंजीकरण प्रमाण पत्र |
3 | पंजीकृत संगठन के पास दिव्यांगजनों के साथ काम
करने का न्यूनतम 2 वर्ष का अनुभव होना चाहिए, साथ ही राष्ट्रीय न्यास अधिनियम में शामिल चार दिव्यांगताओं में से एक में कम से कम एक वर्ष काम करने का अनुभव होना चाहिए।
|
कार्य का विवरण देते हुए पंजीकृत संगठन की उद्घोषणा |
4 | आवेदक को नामांकन के समय राष्ट्रीय न्यास या
किसी अन्य सरकारी संगठन से ब्लैकलिस्ट नहीं होना चाहिए।
|
पंजीकृत संगठन की उद्घोषणा |
- दिव्यांगजनों के लिए मानदंड
दिव्यांगजनों के लिए पात्रता मानदंड
विकास केंद्र (राष्ट्रीय न्यास से फंडिंग हो या न हो) के तहत नामांकित होने के लिए किसी दिव्यांगजन के पास निम्नलिखित पात्रता मानदंड होने चाहिए:
- दिव्यागजन की आयु 10 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
- दिव्यांगजन को राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, 1999 में शामिल दिव्यांगताओं- ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, बौद्धिक दिव्यांगता और बहुदिव्यांगता- में से कम से कम एक से प्रभावित होना चाहिए।
- दिव्यांगजन को समर्थ या घरौंदा योजना में एक साथ नामांकित नहीं किया जाना चाहिए।
पंजीकृत संगठनों और दिव्यांगजनों के लिए नामांकन प्रक्रिया
- पंजीकृत संगठनों के लिए नामांकन प्रक्रिया
- विकास आवेदन पत्र ऑनलाइन भरें और आवश्यकतानुसार स्कैन किए गए दस्तावेज़ अपलोड करें।
- विधिवत भरा हुआ आवेदन राष्ट्रीय न्यास के पोर्टल पर जमा करें।
- आवेदन शुल्क के रूप में 1000 रुपये का ऑनलाइन भुगतान करें।
- भरे हुए फॉर्म का प्रिंटआउट सहायक दस्तावेजों के साथ 7 दिनों के भीतर राष्ट्रीय न्यास को भेजें और सुनिश्चित करें कि यह 15 दिनों के भीतर राष्ट्रीय न्यास के कार्यालय में पहुंच जाए।
पंजीकृत संगठन की नामांकन प्रक्रिया
पंजीकृत संगठन की नामांकन प्रक्रिया विकास केंद्र में पहली बार नामांकन करते समय कई चरणों में परिभाषित की गई है। इसमें प्रत्येक चरण में आवश्यक जानकारी और दस्तावेजों और विभिन्न गतिविधियों के लिए समय-सीमा, जहां भी लागू हो, का विवरण दिया गया है।
चरण 1. राष्ट्रीय न्यास के साथ पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों को राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर लॉग इन करना होगा।
चरण 2. आवेदन पत्र राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध है और इसे केवल ऑनलाइन ही जमा करना होगा। विकास योजना में नामांकन के लिए आवेदन शुल्क 1000/- रूपये है।
चरण 3. राष्ट्रीय न्यास में आवेदन पत्र और दस्तावेज प्राप्त होने के बाद इनकी जांच की जाती है। यदि पंजीकृत संगठन से अधिक जानकारी की आवश्यकता होती है, तो संगठन को राष्ट्रीय न्यास द्वारा गुम दस्तावेजों की सूचना दिये जाने की तारीख से इसे जमा करने के लिए आम तौर पर 15 दिनों का समय दिया जाता है।
यह नोट करें कि पंजीकृत संगठन और प्रस्तावित विकास केंद्र के फिजिकल सत्यापन से संबंधित दस्तावेज या तो राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर योजना के लिए नामांकन के समय या ऑनलाइन आवेदन करने के बाद भी जमा किए जा सकते हैं। यदि पंजीकृत संगठन इसे समय पर जमा करने में विफल रहता है, तो उसे राष्ट्रीय न्यास से अधिसूचना प्राप्त होने के बाद इसे जमा करने के लिए 15 दिनों का समय दिया जाएगा।
चरण 4. आवेदन या प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय सभी आवश्यक औपचारिकताओं और प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद लिया जाता है। फिजिकल सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर, यदि पंजीकृत संगठन योजना के मानदंडों और आवश्यकताओं को पूरा करता है, तो आवेदन स्वीकृत हो जाता है। यदि कोई विसंगति है, तो तदनुसार पंजीकृत संगठन को सूचित किया जाता है।
चरण 5. राष्ट्रीय न्यास पंजीकृत संगठन को आवेदन प्राप्ति की सूचना आवेदन करने के 45 दिनों के भीतर देगा । ऑनलाइन फॉर्म के मामले में, आवेदन प्राप्ति का बिंदु सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन फॉर्म जमा करने की तारीख और समय है। हालाँकि, यदि कोई जानकारी छूट गई है, तो राष्ट्रीय न्यास को ऑनलाइन सबमिशन प्राप्त होने के 10 दिनों के भीतर पंजीकृत संगठन को सूचित करना होगा।
चरण 6. यदि आवेदन और अन्य दस्तावेजों की हार्डकॉपी ऑनलाइन प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर प्राप्त नहीं होती है, तो राष्ट्रीय न्यास निर्धारित समय सीमा के 10 दिनों के भीतर (जो कि प्राप्ति तिथि से 25 दिनों के भीतर है) पंजीकृत संगठन को सूचित करेगा।
चरण 7. नामांकन पूरा होने के बाद, पंजीकृत संगठन के लिए एक स्कीम आईडी बनाई जाती है, और इसकी पुष्टि की सूचना संगठन को भेजी जाती है।
चरण 8. विकास योजना की पूरी जानकारी वाली एक स्टार्टर किट/दिशा पुस्तिका भी राष्ट्रीय न्यास द्वारा पंजीकृत संगठन को दी जाती है।
चरण 9. राष्ट्रीय न्यास पंजीकृत संगठन को सेटअप लागत प्रदान करने के लिए निधि वितरण की प्रक्रिया शुरू करेगा।
- II. दिव्यांगजनों के लिए नामांकन प्रक्रिया
विकास केंद्र में दिव्यांगजनों का नामांकन
चरण 1. दिव्यांगजन आवश्यक प्रमाण के साथ केंद्र पर आएं
चरण 2. विकास केंद्र एक थेरेपिस्ट या परामर्शदाता की मदद से दिव्यांगजन की मूल्यांकन परीक्षण आयोजित करता है।
क) यदि दिव्यांग स्कूल जाने के लिए सक्षम है, तो माता-पिता को सामान्य देखभाल, विशेष स्कूलों या नियमित स्कूलों के विवरण और राष्ट्रीय न्यास की अन्य योजनाओं के संदर्भ में मार्गदर्शन और परामर्श प्रदान किया जाता है, जिसका लाभ दिव्यांगजन उठा सकते हैं। यदि माता-पिता बच्चों को विकास केंद्र के बजाय नियमित स्कूल या विशेष स्कूल में भेजने में रुचि रखते हैं, तो वे इस प्रक्रिया से बाहर हो सकते हैं।
ख) यदि माता-पिता बच्चे को विकास केंद्र भेजना चाहते हैं (या तो स्कूल जाने के साथ या नहीं) भले ही वह स्कूल जाने के लिए फिट हो, या ऐसे मामलों में जहां बच्चा मूल्यांकन परीक्षण के अनुसार नियमित कक्षाओं में भाग लेने के लिए फिट नहीं है, तो चरण संख्या 4 पर आगे बढ़ना चाहिये।
चरण 3. यदि दिव्यांगजन की आयु 14 वर्ष से अधिक है, तो नीचे दिए गए चरणों पर आगे बढ़ें।
चरण 4. विकास केंद्र में दिव्यांगजनों के नामांकन के मामले में, इस बात की जांच की जाती है कि बच्चा राष्ट्रीय न्यास की एलआईजी या बीपीएल फंडिंग के लिए उपयुक्त है या नहीं।
चरण 5. माता-पिता या अभिभावकों को निम्नलिखित दस्तावेजों की मूल प्रतियों और फोटोकॉपी के साथ नामांकन फॉर्म लाना आवश्यक है। प्रत्येक दिव्यांगजन के दस्तावेज़ और रिकॉर्ड अलग-अलग फाइलों में रखे जाने चाहिए।
विकास केंद्र में नामांकन के लिए माता-पिता या अभिभावकों को निम्नलिखित दस्तावेज अवश्य लाने चाहिये:
- नामांकन फ़ॉर्म
- दिव्यांगजन का जन्म प्रमाण पत्र या जन्मतिथि का प्रमाण
- दिव्यांगता प्रमाण पत्र
- संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा अधिकृत सक्षम प्राधिकारी से जारी माता-पिता या अभिभावक का बीपीएल प्रमाण पत्र या आय प्रमाण पत्र (एलआईजी या बीपीएल परिवार के लिए)
- माता-पिता या अभिभावक का आईडी प्रमाण
- निवास (स्थानीय) प्रमाण (परिवहन सुविधा का लाभ उठाने वाले दिव्यांगजन के माता-पिता के लिए एलआईजी माता-पिता या अभिभावक के मामले में अनिवार्य)
- यदि दिव्यांगजन की आयु 18 वर्ष से कम है और माता-पिता अभिभावक नहीं हैं तो संरक्षकता का घोषणा प्रमाण
या
कानूनी संरक्षता प्रमाणपत्र, यदि दिव्यांजन 18 वर्ष से अधिक आयु का है और माता-पिता अभिभावक नहीं हैं।
चरण 6. उपरोक्त सभी दस्तावेजों के सफल सत्यापन के मामले में दिव्यांगजन को विकास केंद्र में नामांकित किया जाता है और दिव्यांगजन के माता-पिता या अभिभावकों को एक स्टार्टर किट के साथ एक पुष्टिकरण नामांकन आईडी कार्ड/रसीद दी जाती है। विकास केन्द्र के प्रतिनिधि केंद्र की समय-सारणी, प्रारंभ होने की तिथि, नियम और विनियम आदि के बारे में अधिक जानकारी देते हैं।
चरण 7. इसके अलावा, लाभार्थी को विकास केन्द्र के प्रतिनिधियों द्वारा निरामय स्वास्थ्य बीमा योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी जानी चाहिए, यदि लाभार्थी ने अभी तक इसका लाभ नहीं उठाया है। यदि लाभार्थी को रूचि है तो प्रतिनिधि निरामया योजना के तहत लाभार्थी के पंजीकरण में मदद कर सकते हैं।