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    दिशा योजना

    योजना संबन्धित जानकारी

    1. बाल्य-कालिक हस्तक्षेप और स्कूल-तैयारी की योजना।
    2. यह योजना 0-10 वर्ष के आयु-समूह वाले बच्चों के लिए है।
    3. चिकित्सा, प्रशिक्षण और बच्चे के परिवार के सदस्यों के लिए सहायता प्रदायगी का प्रावधान है।
    4. दिन में कम से कम 4 घंटे दिव्यांगजनों की देखभाल सुविधा का प्रावधान।
    5. 20 बच्चों पर एक बैच।
    6. पंजीकृत संस्था को एलआईजी और एलआईजी से ऊपर के दिव्यांगजनों के लिए 1:1 का अनुपात बनाना आवश्यक।
    7. यह योजना जम्मू कश्मीर के अलावा पूरे देश में उपलब्ध है।

    योजना का विवरण

    इस योजना का लक्ष्य दिशा केन्द्र स्थापित करना है, ताकि राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के अंतर्गत समाहित 0-10 वर्ष के आयु समूह वाले बच्चों के लिए बाल्य-काल में ही चिकित्सा, प्रशिक्षण और उनके परिवार के सदस्यों के लिए सहायता प्रदायगी के ज़रिए हस्तक्षेप जाए। पंजीकृत संस्थाओं को अपने दिशा केन्द्र में कम से कम निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए:

    I. दिन में देखभाल

    पंजीकृत संस्था द्वारा दिन में कम से कम 4 घंटे (प्रातः 8 बजे से शाम 6 बजे के बीच) दिव्यांगजनों की देखभाल सुविधा प्रदान करनी चाहिए, जिसमें आयु-विशिष्ट गतिविधियाँ शामिल हों। दैनिक देखभाल की सुविधा महीने में कम से कम 21 दिन उपलब्ध रहनी चाहिए। दिव्यांगजनों को राष्ट्रीय न्यास द्वारा धन-राशि दिए जाने के उद्देश्य से दिशा केन्द्र में दिव्यांगजन की प्रतिमाह 15 दिन की न्यूनतम उपस्थिति होनी चाहिए।

    दिशा केन्द्र में एक बैच में 20 दिव्यांगजन होने चाहिए, जिनकी अधिकतम संख्या बैच-आकार से 30% अधिक यानी 26 दिव्यांगजन प्रति दिशा केन्द्र हो सकती है। कुल 26 दिव्यांगजनों की अधिकतम सीमा पर पहुँच जाने के बाद दिशा केन्द्र किसी और दिव्यांगजन को केन्द्र में नामांकन की अनुमति नहीं देगा। पंजीकृत संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जाता है कि यदि उनके पास पर्याप्त संख्या में दिव्यांगजन हों तो वे नए दिशा केन्द्र के लिए दुबारा आवेदन करें।

    पंजीकृत संस्था को एलआईजी(बीपीएल सहित) और एलआईजी से ऊपर के दिव्यांगजनों (जो पंजीकृत संस्था के लिए सशुल्क सीटें होंगी) के लिए 1:1 का अनुपात बनाए रखना चाहिए। एलआईजी से ऊपर की सीटों के लिए पंजीकृत संस्था माता-पिता, अभिभावकों, परिवार के सदस्यों, पंजीकृत संस्था अथवा अन्य किसी संस्था/व्यक्ति से सीधे भुगतान ले सकती है, जिसके निबंधन व शर्तें पंजीकृत संस्था और अन्य संबंधित पक्षकार (माता-पिता, अभिभावक, परिवार के सदस्य, पंजीकृत संस्था अथवा कोई अन्य संस्था/व्यक्ति) के मध्य आपसी सहमति से निर्धारित की जा सकती हैं।

    दिशा केन्द्र में और अधिक दिव्यांगजनों को नामांकित करने के लिए पंजीकृत संस्था को बाल रोग विशेषज्ञों अथवा अपने ही क्षेत्र के विशेषज्ञों से भी संपर्क करना चाहिए।

    II. स्टाफिंग

    1. केन्द्र में दिव्यांगजनों के लिए विशेष शिक्षकों अथवा अर्ली इन्टरवेन्शन थेरेपिस्ट, फीजियोथेरेपिस्ट अथवा ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट की व्यवस्था;
    2. दिव्यांगजनों के लिए काउंसलर;
    3. देख-भालकर्ता; तथा
    4. आया की व्यवस्था होनी चाहिए।

    स्टाफ के संबंध में निम्नलिखित आवृत्ति अथवा समय-सारिणी का पालन किया जाना चाहिए:

    क्रम सं. श्रेणी स्टाफ की संख्या प्रति माह अपेक्षित आवृत्ति अथवा दौरों की न्यूनतम संख्या
    I. विशेष शिक्षक /अर्ली इन्टरवेन्शन थेरेपिस्ट 1 प्रतिदिन
    II. फीजियोथेपिस्ट अथवा ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट 1 सप्ताह में 3 बार
    III. काउंसलर 1 सप्ताह में 3 बार
    IV. देखभाल-कर्ता 1 प्रतिदिन
    V. आया 1 प्रतिदिन

    मूलभूत सुविधाएं

    1. एक चिकित्सा/जाँच कक्ष (चिकित्सकीय सहायता और उपकरणों से सज्जित);
    2. एक गतिविधि कक्ष;
    3. एक मनोरंजन कक्ष; तथा
    4. कार्यालयीन उद्देश्य के लिए एक पर्सनल कम्प्यूटर, स्कैनर और नेट कनेक्शन का प्रावधान होना चाहिए

    मूलभूत सुविधाएँ

    दिशा केन्द्र में दिव्यांगजनों के लिए कम से कम एक चिकित्सा/जाँच कक्ष (चिकित्सकीय सहायता और उपकरणों से सज्जित) एक गतिविधि कक्ष और एक मनोरंजन कक्ष अवश्य होना चाहिए। सभी कक्ष समुचित आकार के हों।

    कार्यालयीन उद्देश्य से और राष्ट्रीय न्यास को निधि संबंधी अनुरोध भेजने, रिपोर्टें आदि प्रेषित करने के लिए दिशा केन्द्र में एक पर्सनल कम्प्यूटर, स्कैनर और नेट कनेक्शन का प्रावधान भी होना चाहिए।

     

    पंजीकृत संस्था और दिव्यांगजनों की नामांकन प्रक्रिया

    1. पंजीकृत संस्थानों के लिए नामांकन प्रक्रिया
    2. दिव्यांगजनों के लिए नामांकन प्रक्रिया

    पंजीकृत संस्थानों के लिए नामांकन प्रक्रिया

    1. दिशा आवेदन फॉर्म ऑनलाइन भरें और अपेक्षित दस्तावेज स्कैन करके अपलोड करें
    2. विधिवत भरा हुआ फॉर्म राष्ट्रीय न्यास के पोर्टल पर प्रस्तुत करें
    3. रु. 1000 के आवेदन शुल्क का भुगतान ऑनलाइन करें
    4. भरे हुए फॉर्म का प्रिंट आउट तथा तत्संबंधी दस्तावेज राष्ट्रीय न्यास को 7 दिन के भीतर प्रेषित करें ताकि यह राष्ट्रीय न्यास में 15 दिन के भीतर प्राप्त हो जाए।

    पंजीकृत संस्थायों के लिए नामांकन (प्रथम स्वीकृति) प्रक्रिया

    पंजीकृत संस्था नामांकन प्रक्रिया में उन सभी चरणों का उल्लेख है, जिनका पहली बार दिशा केन्द्र के लिए नामांकन के समय पालन किया जाना है। साथ ही, इसमें विभिन्न गतिविधियों के संबंध में प्रत्येक चरण के लिए अपेक्षित सूचना एवं दस्तावेज़ों का यथावश्यक विवरण दिया गया है।

    चरण 1. पंजीकृत संस्था राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर लॉगइन करती है।

    चरण 2. आवेदन फॉर्म राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर ऑनलाइन उपलब्ध है। इसे ऑनलाइन ही प्रस्तुत किया जाना है। दिशा योजना में नामांकन के लिए आवेदन शुल्क रु. 1000/- है।

    * ऑनलाइन आवेदन फॉर्म प्रस्तुत करने के चरण

    • दिशा आवेदन फॉर्म ऑनलाइन भरें और अपेक्षित दस्तावेज स्कैन करके अपलोड करें
    • विधिवत भरा हुआ फॉर्म राष्ट्रीय न्यास के पोर्टल पर प्रस्तुत करें
    • रु. 1000 के आवेदन शुल्क का भुगतान ऑनलाइन करें
    • भरे हुए फॉर्म का प्रिंट आउट तथा तत्संबंधी दस्तावेज राष्ट्रीय न्यास को 7 दिन के भीतर प्रेषित करें ताकि यह राष्ट्रीय न्यास में 15 दिन के भीतर प्राप्त हो जाए।

    नामांकन के उद्देश्य से पंजीकृत संस्थानों को निम्नलिखित दस्तावेज और सूचनाएं प्रस्तुत अथवा अपलोड करनी हैं

    1. पात्रता मानदंड पूरा करने संबंधी दस्तावेज
    2. पते का प्रमाण पंजीकृत संस्था का स्वत्व विलेख/स्वामित्व संबंधी प्रमाणपत्र/लीज डीड अथवा किरायेदारी करार
    3. बैंक का ब्यौरा, जिसमें बैंक खाता संख्या, खाता-धारक का नाम, बैंक का नाम, शाखा का नाम और आईएफएससी कोड आदि उल्लिखित हो
    4. पीडब्ल्यूडी अधिनियम 1995 के अंतर्गत एनजीओ का पंजीकरण जारी किए जाने और पंजीकरण के समापन की तारीखें
    5. वर्तमान स्थापना के बारे में पंजीकृत संस्था की घोषणा, जिसमें निम्नलिखित का समावेश हो
      • मौजूदा सुविधाएं एवं मूलभूत ढाँचा
      • वर्तमान में संचालित की जा रही सभी गतिविधियाँ
      • स्टाफ का विवरण, शैक्षिक योग्यता व अनुभव सहित
    6. प्रस्तावित योजना, जिसमें निम्नलिखित का उल्लेख हो
      1. स्थापना अवधि के अंत (1महीना) में प्रस्तावित संसाधनों अथवा स्टाफिंग के विवरण (मान्यता प्राप्त संस्थानों से) विशेष शिक्षक अथवा अर्ली इंटरवेन्शन थेरेपिस्ट अथवा बाल्यावस्था बोधिक स्वास्थ्य परामर्शदाता, काउन्सलर, फिजियोथेरेपिस्ट अथवा ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट, देखभाल करनेवाले, आया एवं अन्य स्टाफ
      2. स्थापना अवधि के अंत (1 महीना) तक संपन्न किए जानेवाले प्रस्तावित मूलभूत ढाँचे के विवरण, जैसे- गतिविधि कक्ष, मनोरंजन कक्ष और कार्यालय संबन्धित साजो-सामान आदि
      3. उपलब्ध अथवा प्रस्तावित दिव्यांगजनों के अनुकूल प्रावधानों (बाधा रहित परिसर, बाधा रहित शौचालय, फर्नीचर एवं फिक्स्चर) का विवरण
      4. पंजीकृत संस्था का भौतिक सत्यापन फॉर्म तथा प्रस्तावित दिशा केन्द्र साइट का डीसी, डीएम, समाज कल्याण अधिकारी, तहसीलदार किसी एक के कार्यालय, राष्ट्रीय न्यास के अधिकारियों द्वारा किया गया सत्यापन।

    चरण 3. राष्ट्रीय न्यास को आवेदन फॉर्म तथा दस्तावेज मिलने पर उनका सत्यापन किया जाता है। यदि पंजीकृत संस्था से और अधिक सूचना लेनी होती है तो उसके प्रस्तुतीकरण के लिए पंजीकृत संस्था को राष्ट्रीय न्यास द्वारा सूचना दिए जाने से 15 दिन तक का समय दिया जाएगा।

    ध्यान दें कि पंजीकृत संस्था तथा प्रस्तावित दिशा केन्द्र के भौतिक सत्यापन से संबंधित दस्तावेज या तो राष्ट्रीय न्यास की वेबसाइट पर योजना के लिए नामांकन के समय या ऑनलाइन आवेदन के प्रस्तुत किए जाने के बाद भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं। यदि पंजीकृत संस्था उक्त दस्तावेजों को समय पर प्रस्तुत करने में विफल रहती है तो उसके प्रस्तुतीकरण के लिए पंजीकृत कार्यालय को राष्ट्रीय न्यास से अधिसूचना प्राप्त होने के पश्चात् 15 दिन का समय दिया जाएगा।

    चरण 4. आवेदन अथवा प्रस्ताव पर अन्तिम निर्णय सभी आवश्यक औपचारिकताएं और प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद किया जाएगा। भौतिक सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर यदि पंजीकृत संस्था योजना के मानदंडों और अपेक्षाओं को पूरा करती है तो आवेदन को अनुमोदित कर दिया जाएगा। यदि कोई विसंगति हो तो उससे पंजीकृत संस्था को अवगत करा दिया जाएगा।

    चरण 5. प्राप्ति बिन्दु से 45 दिन के भीतर राष्ट्रीय न्यास द्वारा पंजीकृत संस्था को सूचना प्रेषित की जाएगी। ऑनलाइन फॉर्म के मामले में, प्राप्ति बिन्दु वह तारीख व समय है, जब फॉर्म को सभी अपेक्षित दस्तावेज़ों के साथ ऑनलाइन प्रस्तुत किया गया। किन्तु यदि कोई दस्तावेज़ न मिला हो तो ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण की प्राप्ति के 10 दिन के भीतर राष्ट्रीय न्यास द्वारा पंजीकृत संस्था को सूचित किया जाएगा।

    चरण 6. यदि फॉर्म एवं अन्य दस्तावेज़ों की हार्ड कॉपी ऑनलाइन प्राप्ति बिन्दु के 15 दिन के भीतर नहीं मिलती है, तो राष्ट्रीय न्यास द्वारा विनिर्धारित समय के 10 दिन के भीतर (यानी आवेदन प्राप्ति के बिन्दु से 25 दिन के भीतर) पंजीकृत संस्था को एक सूचना भेजी जानी चाहिए।

    चरण 7. नामांकन पूरा होने पर पंजीकृत संस्था के लिए योजना आईडी निर्मित होती है और उसकी पुष्टि पंजीकृत संस्था को संप्रेषित की जाएगी。

    चरण 8 . राष्ट्रीय न्यास द्वारा पंजीकृत संस्था को एक स्टार्टर किट/दिशा हैंडबुक भी दी जाएगी, जिसमें दिशा योजना के पूरे विवरण दिए गए हों।

    चरण 9. पंजीकृत संस्था को स्थापना व्यय प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय न्यास निधि-संवितरण आरंभ करेगा।

    राष्ट्रीय न्यास को उन गैर सरकारी संगठनों अथवा पंजीकृत संस्थाओं से स्वतःस्फूर्त तरीके से संपर्क करना चाहिए जिन्होंने दिशा योजना के लिए पहले संपर्क किया था। दिशा योजना के पंजीकरण की प्रक्रिया वही रहेगी जिसका वर्णन ऊपर किया गया है。

    दिव्यांगजनों के लिए नामांकन प्रक्रिया

    चरण 1. दिव्यांगजन अपेक्षित प्रमाणों के साथ केन्द्र में लाया जाएगा।

    चरण 2. दिशा केन्द्र किसी थेरैपिस्ट अथवा काउंसलर की मदद से दिव्यांगजन का मूल्यांकन परीक्षण कराएगा

    क) यदि दिव्यांगजन स्कूल जाने के उपयुक्त है तो माता-पिता को सामान्य देख-भाल, विशेष अथवा नियमित स्कूलों के विवरणों एवं राष्ट्रीय न्यास की ऐसी अन्य योजनाओं के बारे में मार्ग-दर्शन और परामर्श दिया जाता है, जिनसे दिव्यांगजन लाभान्वित हो सकता है। यदि माता-पिता बच्चे को दिशा केन्द्र के बजाय नियमित स्कूल अथवा विशेष स्कूल में भेजने के इच्छुक हों और प्रक्रिया से बाहर निकलना चाहते हों, तो भी उन्हे उसी प्रकार मार्गदर्शन एवं परामर्श दिया जाता है।

    ख) यदि दिव्यांगजन स्कूल जाने के उपयुक्त है तो भी यदि उसके माता-पिता उसको दिशा केन्द्र (स्कूल के साथ-साथ अथवा उसके बिना) भेजना चाहते हों, या ऐसी स्थिति जब मूल्यांकन के अनुसार बच्चा नियमित कक्षाओं में जाने के लिए उपयुक्त न हो तो, अगले चरण में जाएँ।

    चरण 3. दिव्यांगजन को दिशा केन्द्र में नामांकित करने की स्थिति में संबंधित पंजीकृत संस्था द्वारा जाँच की जाती है कि दिव्यांगजन को राष्ट्रीय न्यास के एलआईजी निधीयन में रखा जा सकता है अथवा बीपीएल निधीयन में। राष्ट्रीय न्यास सामान्यतः पंजीकृत संस्था द्वारा प्रदत्त सूचना के अनुसार धन-राशि देता है। किन्तु यदि आवश्यक हुआ तो राष्ट्रीय न्यास को इस सूचना का अन्य स्रोतों से सत्यापन कराने का अधिकार है。

    चरण 4. माता-पिता अथवा अभिभावकों से अपेक्षित है कि वे नामांकन फॉर्म तथा निम्नलिखित दस्तावेजों की मूल एवं फोटोकॉपियाँ साथ लाएँ। प्रत्येक दिव्यांगजन के दस्तावेज़ों और रिकॉर्डों को एक अलग फाइल में रखा जाना चाहिए।

    दिशा केन्द्र में नामांकन के लिए माता-पिता अथवा अभिभावक निम्नलिखित दस्तावेज लेकर आएँ

    1. नामांकन फॉर्म
    2. दिव्यांगजन का जन्म प्रमाणपत्र अथवा जन्म-तिथि का प्रमाण
    3. विकलांगता प्रमाणपत्र
    4. माता-पिता अथवा अभिभावक का आय प्रमाणपत्र जो (एलआईजी अथवा बीपीएल परिवार के लिए) संबंधित राज्य/संघ शासित क्षेत्र द्वारा प्राधिकृत सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया हो
    5. माता-पिता अथवा अभिभावक का पहचान प्रमाण
    6. स्थानीय निवास स्थान प्रमाण पत्र ऐसे एलआईजी (LIG) अभिभावक या संरक्षक या ऐसे दिव्यांगजन के अभिभावक जो परिवहन सुविधा लेते हैं अनिवार्य है।

    चरण 5. जमा कराए गए उपर्युक्त सभी दस्तावेजों का सफलतापूर्वक सत्यापन हो जाने के बाद दिव्यांगजन का दिशा केन्द्र में नामांकन होगा। लाभग्राही माता-पिता अथवा अभिभावकों को एक पुष्टीकरण नामांकन पहचान पत्र/रसीद और स्टार्टर किट दे दिया जाएगा। साथ ही, केन्द्र की समय-सारणी के ब्यौरे, आरंभ होने की तारीख, नियमों और विनियमों आदि के विवरण भी दिशा प्रतिनिधि द्वारा माता-पिता अथवा अभिभावक को बता दिए जाएंगे。

    चरण 6. साथ ही, यदि दिव्यांगजन के माता-पिता और अभिभावकों ने निरामय स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ अभी तक नहीं लिया है तो उनको दिशा के प्रतिनिधि द्वारा निरामय स्वास्थ्य बीमा योजना की विस्तृत जानकारी भी दी जाएगी। यदि दिव्यांगजन के माता-पिता अथवा अभिभावक निरामय स्वास्थ्य बीमा में नामांकन के इच्छुक हों तो दिशा प्रतिनिधि उनको निरामय योजना में पंजीकरण कराने में मदद की जाएगी।

     

    पात्रता मानदंड (पंजीकृत संस्थानों अथवा दिव्यांगो के लिए)

    1. पंजीकृत संस्थानों के लिए मानदंड
    2. दिव्यांगजनों के लिए मानदंड

    I. पंजीकृत संस्था के लिए पात्रता मानदंड

    दिशा योजना में नामांकन के लिए पंजीकृत संस्था को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना चाहिए:

    क्रम सं. पात्रता मानदंड अपेक्षित दस्तावेज़
    1 अनुरोध करनेवाली संस्था राष्ट्रीय न्यास में पंजीकृत हो राष्ट्रीय न्यास में पंजीकरण का वैध प्रमाणपत्र
    2 पंजीकरण के समय अनुरोधकर्ता संस्था के पास पीडब्ल्यूडी अधिनियम 1995 के अंतर्गत वैध पंजीकरण होना चाहिए। पंजीकरण का प्रमाण/प्रमाणपत्र
    3 पंजीकृत संस्था को ऐसे दिव्यांगजनों के साथ काम करने का कम से कम 2 वर्ष का अनुभव हो, जिनमें राष्ट्रीय न्यास अधिनियम में विहित चार में से कम से कम एक विकलांगता हो पंजीकृत संस्था का वचनपत्र, जिसमें कार्यों का विवरण हो
    4 नामांकन के समय गैर सरकारी संगठन को राष्ट्रीय न्यास/किसी अन्य सरकारी संगठन द्वारा ब्लैक-लिस्ट न किया गया हो पंजीकृत संस्था की घोषणा

    II. दिव्यांगजनों के लिए पात्रता मानदंड

    दिशा केन्द्र में नामांकित होने के लिए दिव्यांगजन के पात्रता मानदंड निम्नवत हैं (चाहे वह राष्ट्रीय न्यास द्वारा निधिकृत हो अथवा न हो):

    1. दिव्यांगजन 0 से 10 वर्ष तक के आयु-समूह का हो
    2. दिव्यांगजन में राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 के अनुसार कोई विकलांगता होनी चाहिए जैसे – ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और एकाधिक विकलांगताएँ
    3. दिव्यांगजन को समर्थ योजना में पंजीकृत नहीं होना चाहिए।

     

    निधि संवितरण

    क्रम सं. निधीयन शीर्ष राशि (भारतीय रुपये) निधि संवितरण की आवृत्ति
    I स्थापना लागत 1,55,000/- एक बार
    II निर्वाह लागत 4,500/- प्रतिपूर्ति प्रति अतिरिक्त दिव्यांग# प्रति माह # रु अतिरिक्त दिव्यांग = दिशा केन्द्र में अपेक्षित अधिकतम दिव्यांग (20). उस महीने के दौरान दिशा केन्द्र में वास्तविक दिव्यांग
    स्पष्ट किया जाता है कि प्रारंभिक महीनों में पंजीकृत संस्था द्वारा नामांकित दिव्यांगों की न्यूनतम संख्या 4 से कम नहीं होगी।
    मासिक, प्रारंभिक 3 महीनों के लिए
    III मासिक आवर्ती लागत 4,500/- प्रतिपूर्ति प्रति दिव्यांग प्रति माह (1000/- प्रति दिव्यांग प्रति माह, परिवहन के लिए, यदि लिया हो) मासिक

    राष्ट्रीय न्यास दिशा केन्द्र का निधीयन निम्नलिखित तीन शीर्षों के अंतर्गत करेगाः

    I. स्थापना लागत

    यह दिशा केन्द्र की स्थापना के लिए पंजीकृत संस्था को आरंभ में केवल एक बार प्रदान की जानेवाली गैर-आवर्ती प्रकृति की लागत-राशि है। पंजीकृत संस्था मूलभूत ढाँचे में सुधार के उद्देश्य से राष्ट्रीय न्यास से अनुदान के साथ-साथ अन्य स्रोतों से भी अनुदान का इंतज़ाम करने के लिए स्वतंत्र है।

    II. निर्वाह लागत

    राष्ट्रीय न्यास द्वारा दिशा केन्द्र को स्थापना अवधि के बाद अधिकतम 3 महीने तक निर्वाह लागत प्रदान की जाएगी। इसका प्रावधान इस तथ्य के मद्देनज़र किया गया है कि पंजीकृत संस्था को पहले महीने में 20 दिव्यांगों का नामांकन करने में कठिनाई होगी। निर्वाह लागत यह सुनिश्चित करने के लिए दी जाएगी कि केन्द्र के परिचालन के पहले दिन से ही समस्त स्टाफ और सुविधाएं उपलब्ध और कार्यशील हों, चाहे नामांकित दिव्यांगों की संख्या कितनी भी हो।

    निर्वाह के लिए योग्यता मापदंड

    राष्ट्रीय न्यास केन्द्र को निर्वाह लागत तभी प्रदान करेगा, जब दिशा केन्द्र में प्रारंभिक 3 महीनों में दिव्यांग जनों की न्यूनतम संख्या प्रत्येक माह में अपेक्षित बैच आकार का कम से कम 20% अर्थात कम से कम 4 दिव्यांगजन नामांकित हों तभी केंद्र प्रचालन में आ सकता है।

    निर्वाह लागत की गणना

    निर्वाह लागत की गणना 3 माह की अवधि में केन्द्र में दिव्यांगों की कुल अपेक्षित संख्या तथा दिव्यांगों की वास्तविक संख्या के अंतर के आधार पर यथानुपात आधार पर की जाएगी।

    उदाहरण के लिए यदि पंजीकृत संस्था में परिचालन के पहले माह में 4 दिव्यांग जन हैं तो 20-4 =16 दिव्यांग जनों के लिए निर्वाह लागत का भुगतान किया जाएगा। किन्तु पहले से ही नामांकित 4 दिव्यांग जनों के लिए मासिक आवर्ती लागत का भुगतान योजना के अनुसार किया जाएगा।

    निर्वाह लागत की वैधता

    निर्वाह लागत प्रदान किए जाने की शर्त यह है कि दिशा केन्द्र का परिचालन समय पर आरम्भ हो। दिशा केन्द्र से अपेक्षित है कि वह स्थापना लागत जारी किए जाने के 1 माह के भीतर परिचालन आरम्भ कर दे। यदि परिचालन आरम्भ होने में इस समय-सीमा से एक माह से अधिक का विलंब होता है तो जिस अवधि के लिए निर्वाह व्यय प्रदान किया जाना है, उस समग्र अवधि में से विलंब की अवधि कम कर दी जाएगी। उदाहरण के लिए यदि दिशा केन्द्र स्थापना लागत प्रदान किए जाने के तीन महीने बाद परिचालन आरंभ करता है तो निर्वाह लागत केवल 2 महीने के लिए प्रदान की जाएगी। यदि दिशा केन्द्र परिचालन आरम्भ होने के एक वर्ष के भीतर बन्द कर दिया जाता है तो सम्बन्धित पंजीकृत संस्था को दिशा केन्द्र के लिए जो निर्वाह राशि दी गई है, वह उस पंजीकृत संस्था से वापस ले ली जाएगी।

    III. मासिक आवर्ती लागत

    राष्ट्रीय न्यास दिशा केन्द्रों के परिचालन के पहले महीने से ही निधीयन के पात्र उसके सभी दिव्यांग जनों की मासिक आवर्ती लागत का भुगतान करेगा। राष्ट्रीय न्यास किसी केन्द्र का निधीयन तभी करेगा, जब महीने के दौरान दिशा केन्द्र में दिव्यांगजनों की संख्या अपेक्षित बैच आकार की न्यूनतम 30% (यानी इस मामले में 6 व्यक्ति) हो।

    राष्ट्रीय न्यास दिव्यांगों का निधीयन निम्नलिखित शर्तों पर करेगाः

    क. राष्ट्रीय न्यास दिशा केन्द्र के दिव्यांगों का निधीयन 1:1 के अनुपात में करेगा, बशर्ते वहाँ एलआईजी (बीपीएल सहित) और एलआईजी से ऊपर के दिव्यांग बराबर संख्या में हों। एलआईजी की परिभाषा इस प्रकार होगीः एलआईजी= राज्य द्वारा निर्धारित बीपीएल सीमा + उस राज्य की बीपीएल सीमा से 50% अधिक

    ख. यदि एलआईजी (बीपीएल सहित) दिव्यांग जनों की संख्या एलआईजी से ऊपर वाले दिव्यांग जनों से अधिक है तो केवल उन एलआईजी दिव्यांगों के लिए निधि प्रदान की जाएगी, जिनके संबंध में 1:1 का अनुपात कायम रखा गया हो (एलआईजी व बीपीएल : एलआईजी से ऊपर की श्रेणी)। इस परिस्थिति में निधीयन के लिए बीपीएल को वरीयता दी जाएगी।

    ग. यदि एलआईजी (बीपीएल सहित) की संख्या एलआईजी से ऊपर वाले दिव्यांग जनों से कम है तो राष्ट्रीय न्यास एलआईजी की पूरी संख्या (बीपीएल सहित) का निधीयन करेगा।

    घ. इसके अलावा, राष्ट्रीय न्यास दिशा केन्द्र के 100% बीपीएल का निधीयन योजना के अनुसार करेगा, चाहे अनुपात जो भी हो। किन्तु एलआईजी के विषय में यह शर्त लागू नहीं होगी।

    ङ. यदि दिव्यांगजन ने पंजीकृत संस्था से परिवहन की सुविधा ली हो तो पंजीकृत संस्था को परिवहन भत्ता (वैकल्पिक) दिया जाएगा। इसके लिए दिव्यांगजन के माता/अभिभावक को दस्तावेज़ी प्रमाण प्रस्तुत करना होगा。

    राष्ट्रीय न्यास द्वारा निधीयन का उदाहरण

    क्रम सं. निधीयन शीर्ष राशि (भारतीय रुपये) निधि संवितरण की आवृत्ति
    I स्थापना लागत (गतिविधि कक्ष/मनोरंजन कक्ष/ चिकित्सा कक्ष, कंप्यूटर, फर्नीचर, स्कैनर और इंटरनेट कनेक्शन की संस्थापना) 1,55,000/- एक बार
    II निर्वाह लागत 4,500/- प्रतिपूर्ति प्रति अतिरिक्त दिव्यांग# प्रति माह # अतिरिक्त दिव्यांग = दिशा केन्द्र में अपेक्षित अधिकतम दिव्यांग (20) – उस महीने के दौरान दिशा केन्द्र में वास्तविक दिव्यांग स्पष्ट किया जाता है कि प्रारंभिक महीनों में पंजीकृत संस्था द्वारा नामांकित दिव्यांगों की न्यूनतम संख्या 4 से कम नहीं होगी। मासिक, प्रारंभिक 3 महीनों के लिए
    III मासिक आवर्ती लागत 4,500/- प्रतिपूर्ति प्रति दिव्यांग प्रति माह (+ 1,000/-प्रति दिव्यांग प्रति माह, परिवहन के लिए, यदि लिया हो) मासिक