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    स्थानीय स्तरीय समिति

    राष्ट्रीय न्‍यास अधिनियम 1999 की धारा 13 (1) के अनुसार, बोर्ड ऐसे क्षेत्र के लिए एक स्थानीय स्तर की समिति का गठन करेगा जिसे समय-समय पर विनिर्दिष्ट किया जा सके।

    धारा 13(2) के अनुसार एक स्थानीय स्तर की समिति में निम्‍नलिखित शामिल होंगे –

    • संघ या राज्य की सिविल सेवा का एक अधिकारी, जो किसी जिले के जिला मजिस्ट्रेट या जिला आयुक्त के पद से नीचे न हो;
    • एक पंजीकृत संगठन का प्रतिनिधि; और
    • दिव्‍यांगजन (समान अवसर, अधिकार का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1), धारा 2 के खंड (टी) में परिभाषित दिव्‍यांगजन

    स्रोत- राष्ट्रीय न्यास अधिनियम-1999 की धारा 13(1) एवं (2)

    सहयोजित अतिरिक्त सदस्य

    स्‍थानीय स्‍तर की समितियों को सलाह दी गई है कि वे अपने कामकाज में सहायता के लिए वैधानिक सदस्यों के अलावा निम्नलिखित को सहयोजित सदस्य के रूप में शामिल करें:-

    • जिला सामाजिक न्याय अधिकारी/जिला कल्याण अधिकारी/जिला पुनर्वास अधिकारी
    • सिविल सर्जन या मुख्य चिकित्सा अधिकारी,
    • जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक मो
    • जिले के एक प्रतिष्ठित वकील

    उपरोक्त के अलावा समिति किसी मामले में न्याय प्रदान करने और प्रभावी कार्यप्रणाली के लिए किसी अन्य सरकारी अधिकारी या दिव्‍यांगता विशेषज्ञ को भी शामिल कर सकता है।

    स्‍थानीय स्‍तरीय समिति के कार्य

    संरक्षक की नियुक्ति

    राष्ट्रीय न्यास अधिनियम की धारा 14(1) के अनुसार, “किसी दिव्‍यांगजन के माता-पिता या उसके रिश्तेदार दिव्‍यांगजन के संरक्षक के रूप में कार्य करने के लिए अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को नियुक्‍त करने के लिए स्थानीय स्तर समिति में आवेदन कर सकते हैं”।

    संरक्षक को हटाना

    राष्ट्रीय न्यास अधिनियम की धारा 17(1) के अनुसार, “जब भी किसी दिव्‍यांगजन के माता-पिता या रिश्‍तेदार या पंजीकृत संगठन को पता चलता है कि संरक्षक –

    • किसी दिव्‍यांगजन के साथ दुर्व्यवहार कर रहा है या उसकी उपेक्षा कर रहा है, या
    • संपत्ति का दुरुपयोग या उपेक्षा कर रहा है तो ऐसे संरक्षक को हटाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार समिति में आवेदन किया जा सकता है।

    स्रोत: राष्ट्रीय न्यास अधिनियम की धारा 14-17

    स्‍थानीय स्‍तर की समिति के लिए फंडिंग पैटर्न

    बदलते परिदृश्य और स्थानीय स्तर की समिति के खर्चों से निपटने तथा उसके सुचारू कामकाज के लिए डीसी/डीएम कार्यालय से फंड की मांग की जाती रहती है।  इसी को देखते हुये  राष्‍ट्रीय न्‍यास बोर्ड ने 23 जून, 2017 को आयोजित अपनी 74वीं बैठक में समिति की फंडिंग पैटर्न को मंजूरी दे दी। फंडिंग की मुख्य बातें इस प्रकार हैं –

    • प्रमाणपत्र अपलोड करने के बाद नई योजना प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से नियुक्त प्रति कानूनी संरक्षक के लिए 200/- रु. का प्रावधान
    • निर्धारित प्रारूप में त्रैमासिक रिपोर्ट ऑनलाइन जमा करने के लिए प्रत्येक स्‍थानीय स्‍तर समिति को प्रत्येक तिमाही के लिए 250/- रुपये (एक वर्ष के लिए 1000/- रुपये) का प्रावधान।
    • प्रत्‍येक मामले की जरूरत और स्‍थानीय स्‍तर की समिति के अध्यक्ष के निर्देशों के अनुसार नए प्रबंधन प्रणाली में संरक्षकता प्रमाणपत्र अपलोड करने के बाद स्‍थानीय स्‍तर की समिति, एनजीओ या दिव्‍यांगजन सदस्य द्वारा कानूनी संरक्षकता के लिए प्रत्येक  फील्ड विजिट/ पूछताछ के लिए 500/- रु. का प्रावधान।

    धनराशि केवल स्थानीय स्तरीय समिति के खाते में भेजी जाएगी।

    स्रोत: राष्ट्रीय न्यास बोर्ड की 23.06.2017 को प्रातः 11:00 बजे आयोजित 74वीं बैठक का कार्यवृत्त।

    प्रत्येक स्थानीय स्तर की समिति को फील्ड कार्य के लिए और उसकी वैधानिक जिम्मेदारियों के शीघ्र निपटान में सचिवीय सहायता के लिए उप-समिति का गठन करना चाहिए।

     

    स्‍थानीय स्‍तर की समितियों के बैंक खाते

    1. “स्थानीय स्तरीय समिति – जिले और राज्य का नाम” के नाम से एक अलग बैंक खाता खोलना होगा जिसमें पहला हस्ताक्षरकर्ता जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट या उसका प्रतिनिधि, दूसरा हस्ताक्षरकर्ता गैर-सरकारी संगठन का सदस्य और तीसरा हस्ताक्षरकर्ता स्‍थानीय स्‍तर समिति  का दिव्‍यांगजन सदस्य होगा।
    2. बैंक खाता पहले हस्ताक्षरकर्ता और दूसरे/तीसरे हस्ताक्षरकर्ता में से किसी एक द्वारा संचालित किया जा सकता है।
    3. चेकबुक/पासबुक और खाता विवरण का संरक्षक स्‍थानीय स्‍तरीय समिति का एनजीओ सदस्य होगा
    4. स्‍थानीय स्‍तरीय समिति का एनजीओ सदस्य समिति का संयोजक भी होगा।

    स्रोत: संयुक्‍त सचिव और मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी ने सभी स्‍थानीय स्‍तरीय समितियों को दिनांक 30/5/2008 के पत्र के माध्यम से दिशानिर्देश जारी किए थे।

    राष्ट्रीय न्यास अधिनियम, नियम और विनियम के फॉर्म

    • फॉर्म ए पढ़ें और डाउनलोड करें (नियम 16(1) देखें) – (दिव्‍यांगजन के अभिभावक की नियुक्ति के लिए स्‍थानीय स्‍तरीय समिति को आवेदन पत्र)
    • फॉर्म-बी पढ़ें और डाउनलोड करें (संरक्षकता की नियुक्ति का प्रमाण पत्र)
    • फॉर्म-सी पढ़ें और डाउनलोड करें (नियम 27(1) देखें – अभिभावक के रूप में नियुक्ति के 6 महीने के भीतर अभिभावक को दिव्‍यांगजन की संपत्ति को कवर करने वाला रिटर्न फॉर्म जमा करना होता है)।
    • फॉर्म-डी पढ़ें और डाउनलोड करें (नियम 27(2) देखें) – (प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 3 महीने की अवधि के भीतर अभिभावक को संपत्ति और संपत्ति के खाते का फॉर्म प्रस्तुत करना होता है)

    स्रोत – राष्ट्रीय न्यास के अंतर्गत फॉर्म

    स्‍थानीय स्‍तरीय समिति की कार्यवाही का संचालन

    1. राष्ट्रीय न्यास नियमों की धारा 10(1) के अनुसार ” कुल सदस्यों में से एक तिहाई सदस्‍यों की उपस्थिति किसी भी बैठक का कोरम होगा”। इसलिए स्‍थानीय स्‍तरीय समिति का अध्यक्ष अकेले ही कानूनी संरक्षकता के मामलों को उठा सकता है।

    स्रोत: राष्ट्रीय न्यास नियमों की धारा 10(1)।

    1. यह नोट किया जा सकता है कि जिला कलेक्टर/ स्‍थानीय स्‍तरीय समिति, जिले के अन्‍य अधिकारियों/गैर-अधिकारियों को संयोजक और गैर-वैधानिक सदस्यों के रूप में नामित/सहयोजित कर सकते हैं। इसलिए, स्‍थानीय स्‍तरीय समिति अपनी बैठकों के संचालन और रिकॉर्ड के रखरखाव में ऐसी प्रशासनिक सहायता लेने के लिए स्वतंत्र है जिसे जिला मजिस्‍ट्रेट/जिला कलेक्‍टर उचित समझे।

    स्रोत- राष्ट्रीय न्यास विनियम की धारा 13(5) पर आधारित विवरण‍।

    1. स्‍थानीय स्‍तरीय समिति संरक्षकता से संबंधित मुद्दों पर विचार करते समय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखेगी और उपयुक्त अधिकारियों द्वारा प्रमाणित दस्तावेजों पर भरोसा कर सकती है तथा तथ्यात्मक मामलों के समर्थन में हलफनामे भी स्वीकार कर सकती है। समिति साक्षियों से भी पूछताछ कर सकती है, हालांकि समिति के पास किसी को समन जारी करने का अधिकार नहीं है।

    स्रोत-एएलए की कानूनी सलाह के अनुसार।

     

    1. राष्ट्रीय न्‍यास अधिनियम, नियमों और विनियमों के प्रावधानों की व्याख्या या संदेह के मामलों में, समिति किसी वरिष्ठ वकील को स्‍थानीय स्‍तरीय समिति के सह-चयनित सदस्य के रूप में प्रश्न भेज सकती है।

    स्रोत: राष्ट्रीय न्‍यास विनियमों की धारा 13(5) का विस्तार।

    1. दिव्‍यांगजनों की संपत्ति से संबंधित विवादास्पद मामलों में, पार्टियों से यह कहना उचित होगा कि वह विवादों को हल करने के लिए संबंधित अदालत में जायें। लेकिन फैसला होने तक संरक्षकता आवेदन को स्थगित नहीं रखा जाना चाहिए और दिव्‍यांगजन के हित में निर्णय लिया जाना चाहिए।

    यदि राष्ट्रीय न्‍यास नियमों के तहत धारा 14(3) को फॉर्म बी के साथ पढ़ा जाए तो संरक्षकता की चार श्रेणियां हैं। इसलिए, इसे इस पैरा में और एएलए की कानूनी सलाह के अनुसार विस्‍तार से बताया गया है।

    1. धारा 13(4) के अनुसार स्‍थानीय स्‍तरीय समिति को प्रति तीन महीने में कम से कम एक बार या आवश्‍यकतानुसार किसी अंतराल पर बैठक करना अनिवार्य है। इसलिए दिव्‍यांगजन के हित में संरक्षकता के लिए आवेदनों पर निर्णय लेने के लिए जितनी आवश्यक हो उतनी बैठकें आयोजित करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

    स्रोतः राष्ट्रीय न्यास अधिनियम की धारा 13(4)